Thursday, 18 February 2016

आओ खेलें ठेके का खेल,
सड़कें तुम्हारी, मेरी रेल.
भारत बेचो, तोड़ दो जेल
देशी शान , निकालो तेल
राम-कृष्ण ,सब है फेल
चीन- पाक से करें मेल
मार्क्स-लेनिन खेलें खेल
विवेकानन्द आउट सेल
बलात्कार ,जिन्दाबााद
भारत हो जाये बरबाद
क्या अब यही सब होगा
कल के लिये कूछ नहीं!!

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