Tuesday, 19 May 2015



अभी अभी मेरे इनबॉक्स में झाँका तो एक नौजवान साथी को मेरे अनुभव यात्रा के कटू वृक्ष के फल को देखते -लपकते ,उछलते पाया. ऐ
मेरे मीत , मुझे उन असहज पलों की याद दिलाने के लिये मैं तो आपको धन्यवाद तक नहीं कह सकता .
हाँ ,मेरी पीड़ा वृक्ष के फल मुझे कैसे भी लगे हो , मैं आशा ही नही विश्वास करता हूँ कि आप सभी के लिये वे सदैव यशकारी, गुणकारी ही होंगे और स्वाद भी उतना तीता अब नहीं रहेगा ,थोडा कसैला, थोडा बेस्वाद तो अब भी हो सकता है -पर हानिकारक नहीं होगा .
मैं आप सभी के यशस्वी जीवन की शुभकामना करता रहूँगा .

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