Saturday, 14 July 2018

बस लगे रहना पड़ता है। कोई नहीं जानता आपके साथ क्या ,कब होना निर्धारित है । देवगौड़ा हो, गुजराल हो, कोविंद हो, राशकल हो -कब क्या से क्या होगा- कोई नहीं जानता।
पर 2002 से ही मोदी का शिकार करने को आतुर कांग्रेस, मीडिया, अन्य विपक्षी पार्टियां क्या मोदी का भविष्य जानती थी या वे मोदी का भविष्य लिख रही थी।
अब कौन किसके साथ, क्यों, किसके लिये, कब तक - कोई नहीं जानता।
केवल सत्कर्मों का ही सुफल नहीं होता। दैवीय कृपा भी होती रहती है। अहैतुकी कृपा। औऱ इसी प्रकार आशंका, आघात, हानि, मृत्यु, - अकारण।
यश कब आया, कब चला गया, कुछ पता ही नहीं चलता।
बस एक प्रभु शरण ही विकल्प ।
या अभिभावक शरण, गुरु शरण, सतत स्मरण, शरणागत हो जाना ही विकल्प।

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