Saturday, 14 July 2018

शैतान बड़े सहज भाव से पवित्र आत्मा, शरीर और भाव को अपना शिकार बनाता है।
क्षणिक आवेगों को दैत्याकार बना डालना शैतान का बायें हाथ का सहज खेल है।
बस जगह मिलनी चाहिये।
कुटिल प्रवृत्ति का होता है शैतान। लोभ, क्रोध, अहम, काम - सभी मे समान रूप से ब्यापता है।

No comments:

Post a Comment