Wednesday, 4 February 2015

 जहाँ एक तरफ अपने लिए सबसे अच्छे की चाह रखना एक नॉर्मल बात है.
 वहीँ दूसरी तरफ ये हमारी लाइफ में प्रोब्लम्स और स्ट्रेस लेकर आता है।
 पक्का है कि उपलब्धि की पैकिंग से जीवन की  क्वालिटी में कोई बदलाव नहीं आता।
 ये तो बस एक जरिया है जिसके माध्यम से आप जीवन  जीते है।
असल में जो आपको चाहिए था वो बस उपलब्धि  थी, पैकिंग रैपर या कार्टून , या थर्मोकोल या टीन का डब्बा या कोई ताबूत नहीं,
पर फिर भी आप सब सबसे चमचम पाकिंग  के पीछे ही जाते हैं ,उसे ही देखते है , पैकिंग पर छपी फिगर-फोटो देख कर ही निर्णय लेने लगते हैं  और अपना मन बना लेने के बाद भी नजर इस बात पर होती है की दूसरा कौन सी पैकिंग ,ब्रांड खोज रहा है या पसंद कर रहा  है .
बस यही पैकिंग की चकमक में खो जाने भर से स्ट्रेस होता है , ब्रांड के कन्फ्यूजन से असल प्रोडक्ट तक नहीं पहुंचते , पैकिंग मेटेरियल पर अधिक क्न्स्नत्रेट करने और फोटो , तथा  काल्पनिक जानते हुए भी उस पर छपे फिगर , उसके पैकिंग के रंग संयोजन से प्रभावित हो जाना ही हमारे स्ट्रेस का कारण  है , निरर्थक इर्ष्या को जन्म देता है , एक ऐसी प्रतियोगिता को जन्म देता है जो होनी ही नहीं चाहिये , जिसका कोई आधार ही नहीं ,जिसका कोई लक्ष्य ही नहीं .

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