तुन्हारे पास तक जाने के लिये मैं यूँ बहाने तलाशता हूँ
सदियाँ हो गई , न जाने क्यूँ मैं ये पत्थर ही तराशता हूँ .
शायद यूँ भटकते भटकते एक रास्ता मिल ही जायगा
छैनियों से ये छोटी चोटें ,शायद अक्श उभर ही आयेगा
सदियाँ हो गई , न जाने क्यूँ मैं ये पत्थर ही तराशता हूँ .
शायद यूँ भटकते भटकते एक रास्ता मिल ही जायगा
छैनियों से ये छोटी चोटें ,शायद अक्श उभर ही आयेगा
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