विरोध तो होगा ही . जितने अधिक निरपेक्ष , निष्पक्ष ,साफ , शीघ्र होते जाओगे ,विरोध उतना प्रबल होता जायेगा .निष्पक्ष लोग समूह न तो बना पाते हैं , न समूह का हित साधन कर पते हैं ,न तो गुटों के साथ जुट पते हैं , न अपनी निष्पक्षता के प्रति आग्रह के कारण प्रिय बन या रह पाते है .सामयिक समय में जब सारा समाज गुटों में बंटा हुआ है ,गुट और जोट्टा बनना ही सफलता का पैमाना है , सारे निर्णय या संघर्ष गुटीय प्रतिबद्धता से प्रभावित होती दिख रही है , ऐसी स्थिति में निष्पक्षता बनाए रखना आपका अपना आग्रह है और उसका विरोध भी होगा , विरोध दिनानुदिन तीब्र भी होता जायेगा ,अब आपका काम है कि आप विरोध का सामना करते हुए भी आगे की यात्रा किस प्रकार करते हैं.
आपकी आदर्श गति भी , समान गति बनाये रखने का आग्रह भी गुटीय ब्यवस्था में अनफिट है. इसके कारण भी संघर्ष होता रहेगा .
अब आप पर निर्भर है कि संघर्ष और विरोध को छोड़ कर सुविधा का रास्ता चुन लेते है अथवा विरिधियों का सामना करते हुए विजयी या शहीद होना चाहते हैं.
वैसे विजयी होने का तो यही एक रास्ता है . शहीद होने के और भी सारे रास्ते हैं .सुविधा के रास्ते में अकारण शहीद नहीं होंगें ,शहीद नहीं कर-करा दिये जाएँगे इसकी कोई गारन्टी नहीं है .
सुविधाओं में भी परस्पर गला काट वैमनस्य है .फिर सुविधाभोगी परस्पर एक दुसरे के सुविधा के लालच से परिचित हो चुके रहते हैं अतएव वे सभी गुटों के अंदर भी गुट बना लेते हैं ,निर्लज्ज होने में उन्हें कोई संकोच नहीं होता .
विरोध और संघर्ष का रास्ता दुर्गम तो है पर यदि इस रास्ते चल पड़े और चलते रहे तो यह भावी पीढ़ी को प्रकाश और चलने वाले को यश-श्रेय तो देता ही है--कीमत तो हर उपलब्धि की चुकानी पडती है .
आपकी आदर्श गति भी , समान गति बनाये रखने का आग्रह भी गुटीय ब्यवस्था में अनफिट है. इसके कारण भी संघर्ष होता रहेगा .
अब आप पर निर्भर है कि संघर्ष और विरोध को छोड़ कर सुविधा का रास्ता चुन लेते है अथवा विरिधियों का सामना करते हुए विजयी या शहीद होना चाहते हैं.
वैसे विजयी होने का तो यही एक रास्ता है . शहीद होने के और भी सारे रास्ते हैं .सुविधा के रास्ते में अकारण शहीद नहीं होंगें ,शहीद नहीं कर-करा दिये जाएँगे इसकी कोई गारन्टी नहीं है .
सुविधाओं में भी परस्पर गला काट वैमनस्य है .फिर सुविधाभोगी परस्पर एक दुसरे के सुविधा के लालच से परिचित हो चुके रहते हैं अतएव वे सभी गुटों के अंदर भी गुट बना लेते हैं ,निर्लज्ज होने में उन्हें कोई संकोच नहीं होता .
विरोध और संघर्ष का रास्ता दुर्गम तो है पर यदि इस रास्ते चल पड़े और चलते रहे तो यह भावी पीढ़ी को प्रकाश और चलने वाले को यश-श्रेय तो देता ही है--कीमत तो हर उपलब्धि की चुकानी पडती है .
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