एक भी दिया जो जल सका मेरे जिगर के सनेह से
तो मैं सारी जिन्दगी यूँ ही सनेह टपकाता रहूँगा !!!
तो मैं सारी जिन्दगी यूँ ही सनेह टपकाता रहूँगा !!!
आह और वाह के लिये जी कर ही क्या तो करना है
समन्दर को दरिया तक ले जाना ही मकसद मेरा है .
समन्दर को दरिया तक ले जाना ही मकसद मेरा है .
वक्त तो लगेगा , जानता हूँ समन्दर बहुत भारी है
अडियल दरिया कम तो नहीं है जाने कब मानेगा
अडियल दरिया कम तो नहीं है जाने कब मानेगा
जमाना तो समझ जायगा ही ,आज नहीं तो कल
सवाल मेरे अपने समझने का,वह कबतक मानेगा
सवाल मेरे अपने समझने का,वह कबतक मानेगा
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