मैं केवल आपसे और आने वाली पीढ़ियों से प्रार्थना कर सकता हूँ की मेरे भारत राष्ट्र को न्यायाधीश्तंत्र से बचाओ .कुलीनतंत्र से बचाओ .मैं परमात्मा से प्रार्थना करता हूँ की कुछ तो ऐसे न्यायाधीश पैदा करो जो नौकरी करने नहीं आये हैं , न ही उनकी निगाहे केवल अपनी पदोन्नति पर है .
क्या इस देश की न्याय प्रणाली ९७-९८ प्रतिशत लोगों के लिए निरर्थक है , अभिशाप है , यन्त्र्नाग्रिः है .मैं कभी कभी विचलित हो जाता हूँ .क्या इस देश की न्याय व्यवस्था दिखावा मात्र है .क्या इस देश का न्यायतंत्र किसी वर्ग विशेषके लिए रोजी रोटी प्राप्त करने का एक साधन मात्र है .क्या यह तन्त्र जैसा भी है किसी वर्ग विशेष के हाथ कठपुतली मात्र है .
कटिहार में बढ़ दिनों में मैंने उछ्न्ययाली से लिखित और अपने न्यायालयीय आदेशों के माध्यम से प्रार्थना की थी कि क्या भारत के नागरिकों के मौलिक अधिकार इस देश के १०-२० लाख लोगों के हाथ में गिरवी रख दिए गए हैं .
मैं कई बार विचलित हुआ कि क्या इस देश का जनतंत्र १०-२० लाख लोगों के हाथ बंधक है .क्या इस देश का न्यायतंत्र उन्हीं लोगों के द्वारा , उन्हीं लोगों से उन्ही लोगों के लिए बनाया गया था, है , और क्या आगे भी यही चलता रहेगा .
मुझे कई बार शक हुआ -कि इस देश की न्याय्प्र्नाली में न्यायाधीश अथवा विधि वेत्ता केंद्र में कैसे बैठे हुए हैं .
कई बार लगता है कि न्यायाधीश के रूप में बैठा व्यक्ति यथेस्ट रूप से साहसी नहीं है , वह बार बार अपनी भावी पदोन्नति के बारे में ही संभवतः सोचता रहता है .
क्या इस देश में देश की जनता को न्याय देने -दिलाने का प्रश्न -विचार पुर्णतः बेमानी , असंगत अनाथ हो गया है .क्या इस ब्यवस्था में पीड़ित के हाहाकार को सुनाने वाला कोई नहीं.वस्तुतः इस व्यवस्था पर अर्थबल-धनबल - बहुबल तर्कबल हावी है .
यह व्यवस्था वस्तुतः कुलीनतंत्र का ही दूसरा रूप है .यह व्यवस्था जनतंत्र से प्रतियोगिता रखती है .यह व्यवस्था एक न्यायाधीशतंत्र पैदा करना चाहती है .
मैनें यह प्रश्न कई बार पूछा है - क्या न्यायाधीशतंत्र , जनतंत्र से अच्छा होगा.मैंने कई बार पूछा-यह न्यायाधीशतंत्र क्या शुद्ध कूलिनतंत्र नहीं होगा .
हे परमात्मन , ! मुझे कुछ सौ ऐसे न्यायाधीश दो जिन्हें किसी भी प्रकार दूषित नहीं किया जा सके , जो दूषित नहीं हो ,.
हे देश के अध्यापकों, हे इस देश के विद्यालयों ,-विश्वविद्यालयों ! हे इस देश की वीर माताएँ ! शुद्ध अंतःकरण वाले हज़ा-पांच सौ न्यायाधीश तो पैदा किया करो - सब कुछ बदल जायेगा यह देश, यह दुनिया , यह परिवेश -सब कुछ बदल जायेगा .
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