एक बार फिर से हिम्मत बांध खड़े हो जाओ
मुट्ठी बांध ,भृकुटी तान ,फिर कदम बढाओ
चल पड़ो फिर दसों दिशाओं में एक साथ
जाने किस राह को तुम्हारे संग की चाह हो .
मुट्ठी बांध ,भृकुटी तान ,फिर कदम बढाओ
चल पड़ो फिर दसों दिशाओं में एक साथ
जाने किस राह को तुम्हारे संग की चाह हो .
No comments:
Post a Comment