आग तो आग होती ही है
पानी होता तो पानी ही है
न आग पानी हो सकती है
न पानी हो सकता है आग.
हिमालय हो या समंदर
पहला झुकता नहीं कभी
दूसरा सूखता नहीं कभी
इनकी फितरत बदलती नहीं।
रीढ़ होने या न होने में
फरक तो पड़ता ही है
रीढ़ वाले सरकते नहीं ,तन जाते हैं
बिना रीढ़ अड़ते नही ,पड़े सरकते हें।
पानी होता तो पानी ही है
न आग पानी हो सकती है
न पानी हो सकता है आग.
हिमालय हो या समंदर
पहला झुकता नहीं कभी
दूसरा सूखता नहीं कभी
इनकी फितरत बदलती नहीं।
रीढ़ होने या न होने में
फरक तो पड़ता ही है
रीढ़ वाले सरकते नहीं ,तन जाते हैं
बिना रीढ़ अड़ते नही ,पड़े सरकते हें।
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