ऐसा नहीं है कि मैं पर्फेक्ट रहा हुँ
गिरा हूँ, फिसला हूँ, गलत भी हुआ
हर बार एक सबक सीख खड़ा हुआ
अपना सीखा सिखा रहा, पढ़ा रहा
बस मैं खुद से, तुमसे, शर्मिंदा न हुआ।
तुम्हें कुछ गलत न सीखा-पढ़ा जाउँ
इतना सा जतन जीवन-भर करता रहा।
एक पहचान तुम सबको मिले
तुम सबका सर न कभी भी झुके
न सही पोख्ता, नाम की ही सही
एक नीँव-नाम तो तुम सब के लिये
हो सका तो छोड़ ही जाऊँगा
मेरी याद जब भी तुम्हे आयेगी
उम्मीद है, जीभ का स्वाद तीता नहीं होगा।
गिरा हूँ, फिसला हूँ, गलत भी हुआ
हर बार एक सबक सीख खड़ा हुआ
अपना सीखा सिखा रहा, पढ़ा रहा
बस मैं खुद से, तुमसे, शर्मिंदा न हुआ।
तुम्हें कुछ गलत न सीखा-पढ़ा जाउँ
इतना सा जतन जीवन-भर करता रहा।
एक पहचान तुम सबको मिले
तुम सबका सर न कभी भी झुके
न सही पोख्ता, नाम की ही सही
एक नीँव-नाम तो तुम सब के लिये
हो सका तो छोड़ ही जाऊँगा
मेरी याद जब भी तुम्हे आयेगी
उम्मीद है, जीभ का स्वाद तीता नहीं होगा।
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