एक्सेंट , उच्चारण या लहजा , चाहे देसी का हो या विदेशी का अक्सर अजीबोगरीब घटनाओं का कारण बनता है…
सन 1990
सूरत में एक पाँच मंजिला अपार्टमेंट में हम नए-नए शिफ्ट हुए थे.
उस इमारत में कुल बीस फ्लैट थे, उसमें सिर्फ पाँच छः फ्लैट में लोग रहते थे, बाकी फ्लैट अभी खाली थे
ग्राउंड फ्लोर पर कार पार्किंग के कोने में बने कमरे में एक मात्र एक नेपाली कर्मचारी अपनी पत्नी के साथ रहता था
नैन सिंह…
करीब चालीस वर्ष की उम्र , छोटा क़द, दूर से गोल मटोल सा दिखने वाला नैनसिंह नेपाल के पहाड़ी इलाके से था .
गोल मटोल चेहरे पर नन्हीं उनींदी आँखें…
हमेशा खाकी कपड़े पहने और नेपाल की पहचान पीतल की नन्हीं सी "दो कटार वाली एम्बलम" की टोपी हमेशा उसके सर पर रहती थी.
लिफ्ट मैन की ड्यूटी के साथ-साथ रात की पहरेदारी और हमारे छोटे-मोटे काम भी वह कर दिया करता था जैसे पास की दुकान से ब्रेड बटर या घर के छोटे-मोटे सामान वगैरह ले आना…
नमश्ते शाब जी … हरदम मुस्कुराता चेहरा और मीठे नेपाली उच्चारण वह सोसायटी में लोकप्रिय था…
वह जब किसी काम से जाता या आराम कर रहा होता था तो उसकी सीधी सादी पत्नी लिफ्ट को गर्व से यूँ ऑपरेट करती थी मानो चंद्रयान को आकाश में ले जा रही हो.
कभी कोई सामान लाने पर बाकी बचे हुए दो तीन रुपए उसको टिप या बख्शीश के तौर पर दे दिये जाते थे तो उसकी आदत के अनुसार उन रुपयों को स्वतः ही अपने माथे से छूकर धन्यवाद प्रकट करता था.
एक दिन मैं और मेरा कजिन बिल्डिंग के ग्राउंड फ्लोर पर पार्किंग में खड़े एक स्कूटर पर बैठे गप शप कर रहे थे…
ए नैन सिंह… इधर आ…मैंने उसको इशारे से अपने पास बुलाया…
मैंने अपनी जेब से दस का नोट निकाला और उसके हाथ में थमाया …
उसने अपनी आदत के अनुसार उसको नोट को सीधा अपने माथे से लगाया…
अबे यह बक्शीश नहीं है …जा एक ब्रेड लेकर आ…
नैन सिंह के चेहरे पर एक शर्मिंदगी भरी हँसी आ गई…
काफी देर हो गई इंतजार करते हुए लेकिन नैन सिंह नहीं आया
कुछ देर बाद देखा तो नैन सिंह दूर से अपनी "पेटेंट चाल" से चल कर आता हुआ दिखाई दिया…
हर कदम पर उसके कंधे आगे की तरफ झुक जाते और दोनों घुटने यूं मुड़ जाते थे मानों कंधों पर भारी वजन उठाए हुए चल रहा हो..
उसे दूर से आते देख मेरे भाई ने मुस्कराते हुए कहा …
यह भगवान भी इंसान के जीन्स में क्या क्या फिट कर देता है…
ऐसा क्या हुआ ??? मैंने भाई से उत्सुकता से पूछा
देखो तो सपाट जमीन पर भी ऐसे चल रहा है कि जैसे हिमालय पहाड़ पर चढ़ रहा हो …
लेकिन इसके हाथ में ब्रेड तो नहीं है, लगता है बेवकूफ आदमी कुछ और ही ले आया है…मैंने शक जताया
नैन सिंहअपने दोनों हाथों से डब्बीनुमा आकार बनाकर उसमें छुपाकर रहस्यमय तरीके कुछ ला रहा था , मानों रास्ते में उसे सोने का बिस्किट मिल गया हो…
तेरे हाथों में क्या है??? मैंने उत्सुकता से पूछा
जैसे ही उसने अपने हाथों को खोला तो उसमें से नन्हा सा चिड़िया का बच्चा निकला आया…
वो मासूम सा चिड़िया का बच्चा डर के मारे काँप रहा था…उसके पंख घायल थे और जगह-जगह से खून निकल रहा था…
अरे !!! ये तो बुरी तरह घायल है… मैंने आश्चर्य के साथ कहा
शाब… राश्ते में बौत शारा कौआ इशको चोंच मार कर घायल कर दिया शाब… इशीलए मैं इशको बचाके लाया… नैन सिंह ने सफाई दी…
कौओं का झुंड अभी भी उस नन्हें पंछी की ताक में था और काँव काँव करते हुए मंडरा रहा था…
मैंने ज्यादा वक्त गँवाये बिना घर से एंटीबायोटिक क्रीम मंगाई और उसकी मासूम पंछी की मरहम पट्टी की…
उसे पानी पिलाया और नैन सिंह उसे खिलाने के लिए अपनी खोली से थोड़े से उबले हुए चावल ले आया…
उस नन्हें पंछी के लिए के हमने पुठे के एक कार्टन में नरम कपड़ा और घास बिछा कर उसके लिए सुरक्षित सा घर बनाया…
सिर्फ तीन दिन में ही वह नन्हा पंछी फुदकने लगा… ऐसा लगा के चार-पांच दिन में फिर से उड़ने लगेगा…
अचानक वो नन्हा पंछी बिल्डिंग में रहने वाले बच्चों के लिए आकर्षण का केंद्र बन गया…
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एक दिन सुबह सुबह मैं अपने ड्राइंग रूम में बैठकर टीवी देख रहा था
कि इतने में में नैन सिंह दरवाजे पर हाजिर हुआ…
बोलो नैन सिंह …
शाब …"सीरिया का बादशाह मर गया" …इतना कहते हुए नैन सिंह के चेहरे पर भारी उदासी थी
मैंने तुरंत टीवी पर न्यूज़ चैनल लगायाऔर हैडलाइन देखने लगा…
तुम्हारा सगे वाला था क्या ??? मैंने पूछा
उसने निराशा में सर झुकाए हुए अपना दायाँ हाथ डमरु बजाने की अदा में यूँ हिलाया लाया कि जैसे कह रहा हो… क्या पता ???
अचानक मेरे जहन में आया कि नेपाल का और सीरिया का क्या संबंध हो सकता है…
इतने में पीछे से मेरी पत्नी चाय का कप लेकर हाज़िर हुई…और बोली…
तुम भी ना लगता है कानों में रुई डाल कर बैठते हो…
अरे भई ये कह रहा है कि "चिड़िया का बच्चा मर गया"…मुझे सुनकर बहुत दु:ख हुआ और साथ में अपनी बेवकूफी पर हँसी भी आने लगी…
मैंने शर्मिंदगी से बचने के लिए अपना सर झुकाया, होंठ भींच कर अपनी हँसी को रोका और साथ-साथ निराशा में सिर हिलाया…
अब तुम्हें क्या हुआ है ??? इस बेचारे ने तो बहुत कोशिश की उसे बचाने की… अब हमने जानबूझकर थोड़ी मारा उसे….मेरी पत्नी ने मुझे डांटते हुए कहा
चलो अब चाय पियो…ज्यादा दुखी मत होओ…मेरी पत्नी ने किसी बच्चे को सांत्वना देने की अदा में कहा…
मैंने बनावटी चेहरा बनाकर दुखी मन से जवाब दिया…
उफ्फ… मेरा सीरिया का बादशाह मर गया …
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