Wednesday, 8 July 2020

मारवाड़ी परिवार अभी भी फ़ौज के किसी भी पद के लिये उत्साहित नजर नहीं आते .अब ग्रामीण इलाके के मारवाड़ी परिवार में  डाक्टर ,इंजीनियर बन रहे हैं .ये लोग क्रमशःबड़े शहरों में पहुंच कर आश्चर्यजनक सफलता अर्जित कर रहे हैं ,सेवा के क्षेत्र में ,अनुसन्धान के क्षेत्र में नयी तकनीक के उपयोग के क्षेत्र में .पर अस्पतालों में आपको या तो मारवाड़ी डाक्टर मिलेंगे या  अकाउंटेंट ,कैशियर  और मेनेजर मिल जायेंगे पर पारा मेडिकल स्टाफ नहीं , नर्सिंग स्टाफ नहीं , सिक्युरिटी स्टाफ नहीं . उसी प्रकार उच्च तकनीक संस्थाओं में बड़े पदों पर या बड़े पदों की शुरुआती पायदान पर आपको तीक्ष्ण बुद्धि प्रवीण अध्येता तकनीक ज्ञान से भरेपूरे ,बड़े उत्साही बड़ी बड़ी डीग्री धरी मारवाड़ी नौजवान मिल जायेंगे पर असिस्टेंट ग्रेड पर नहीं मिलते .
मारवाड़ी नौजवान यदि अपनी  बौद्धिक क्षमता सामान्य पाता है तो वह करियर के रूपमे ट्रेड ,इंडस्ट्री ,कामर्स को ही तरजीह देता है .
साहित्य ,खेल ,कला , सामाजिक कार्य का पूर्णकालिक करियर मारवाड़ी परिवारों को आज भी स्वीकार नहीं 
आध्यात्मिक वे हो सकते है पर उसे भी वे करियर के रूप में स्वीकार नहीं करते.
हिंसक प्रतिरक्षा,शारीरिक या अपने सम्मान -गरिमा की रक्षा के लिये आत्मरक्षा  तक के लिये मारवाड़ी को संघर्ष करते नहीं देखिएगा . हाँ भाड़े पर वे सारी सुरक्षा खोजते हैं ,पर अपने हाथों से , अपने भुज बल से , ना बाबा ना . यह तो गुंडा मवाली का काम है ! ऐसा क्यों. समझ में मुझे तो आज तक नहीं आया
एकांगी समाज पूरा समाज नहीं होता .

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