चमड़े की जबान, कल्पना की उड़ान, कल्मघिससु का ख्वाब, राजा का जबाब, इन सबका कभी कोई भरोसा नहीं, कब किधर बहक जाए।
ये कई बार, बार बार केवल सनक, पिनक में बहकती रहती है।
इनका भरोसा न करे।
जब सब कुछ का प्रमाण इतिहास भूगोल खत्म हो चुका होता है तब ये सब सपनाते है, बौआते है औऱ हवा में जिन्न पैदा कर उससे लड़ते है या लड़ने का नाटक करते दिखते है।
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