Wednesday, 11 September 2019

बहुतों को इस लिये सफल नहीं होने दिया जाता कि सफल हो जायेगा तो इसका सम्मान करना पड़ेगा, यह हमसे अधिक प्रतिष्ठा पायेगा, हम टुकुर टुकुर देखेंगे। इसकी सफलता के गीत गाये जाएंगे तो हमे ताली बजानी पड़ेगी । अभी तो यह हमारे नाम से जाना जाता है, सफल होने के बाद हम लोग इसके नाम से जाने जाएंगे।
सफलता के आगे ईर्ष्या, सफलता के पीछे ईर्ष्या।
कितने लोगों ने सफलता के अवसर छोड़ दिये कि सफल होने के बाद तो बदलना पड़ेगा। उन्हें बदलाव नहीं पसन्द था। वे जैसे हैं वैसे ही रहना चाहते है ।
  1. मेरी बेरुखी आज अखर गयी तुझे
जरा सोच उन घावों का दर्द कैसा था ?
जब ओठ दबा दबा तुम हँसते थे
उन निगाहों के जख्म बहुत गहरे थे।
जब मेरी दो रोटियाँ भी गिनी जाती थी
जरा सोच मेरी भूख सौ बार मर जाती थी
ऐ मेरे साथी प्यादे
रहीम के व्यंग्य वाण से डर कर वजीर बनने का अपना संकल्प मत छोड़ देना।
इन्हें खानदानी वजीर से कोई शिकायत नहीं, शिकायत है तो प्यादे से वजीर बनने से।वह कित्ती शह बचते बचते आज वजीर बना। अब वजीर की तरह चलने का हक है। उसे शाबाशी देने की जगह रहीम उस पर तंज कस रहे।

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