Wednesday, 11 September 2019

जवान होने पर अंडरवियर पहनना मजबूरी है। शादी के बाद तो साली से भी सम्बन्ध और मर्यादा बदल जाती है।
जो माँ गोद मे खिलाती है, वही माँ जो अंग अंग रगड़ रगड़ के धोती थी, नहलाती थी, समयानुसार खुद से नहाने की आज्ञा देती है। उठने बैठने, स्पर्श में सामाजिक मर्यादा का बोध करवाती थी।
  • एक व्यवहार जो एक काल, समय, परिस्थिति, रिश्ते, नाते, मौसम, पद आदि में सिखाया जाता है, बताया जाता है, वह सभी समय सभी परिस्थिति में संगत नहीं रह जाता।
  • विवाहित पुत्र, पुत्री उसी घर मे माता पिता के साथ रहते भर में सारे परिवार की जानकारी में विवाह के बाद भिन्न आचरण करता ही है । इस पर प्रश्न क्यों, यह अंतर पच क्यों नहीं पा रहा।
  • बेटे के जवान होने के बाद भी उसको दाढ़ी नहीं बनाने देंगे क्या ?
  • किसी की सफलता से ईर्ष्या हमें शोभा नहीं देती।
  • आ ई एस लड़का अपने सारे रिश्तेदारों के हर कारज प्रयोजन में उस तरह अब नहीं जा पा रहा जैसे पहले जाता था। तो क्या यह बदलना हो गया।
  • बीज बढ़ कर पौधा हो गया , क्या यह स्वार्थ है।
  • हरे हरे तने, समयानुसार कठोर तांबे के रंग की लकड़ी हो गये, इससे आप असहज क्यों।
  • बेटी जवान हो गयी, अब भाई, पिता चाचा की गोद में नहीं बैठती तो क्या बदल गयी।
  • परिवार का कोई जज हो गया तो क्या उसकी मुख मुद्रा, बोलने, व्यवहार में कोई अंतर नहीं आना चाहिये।
  • आप किसी की सफलता से इतने नकारात्मक विचार से क्यों ग्रसित हो रहें है।
  • दूसरों की सफलता का सम्मान करना सीखिये। उसकी मर्यादा, मजबूरी समझिये।
  • सदा सुखी रहेंगे यदि ईर्ष्या भोग से दूर रहेंगे। वैसे विचारों से आप भी सफल होंगे। अन्यथा अंदर ही अंदर केवल जलते ही रह जाओगे।
  • सावधान रहिये। दूसरों की सफलता के अनन्त सकारात्मक पक्ष है, देखिये और प्रेरणा प्राप्त करिये।
  • बहुत से लोग इस बदलाव के डर से सफल होने से हिचकते है।

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