मैं तो केवल इतना ही खुले आम कहना चाहूँगा कि कोई भी अपराध इतना बड़ा नहीं होता कि क्षमा करने की शक्ति रखने वाला एक सौ एकवीं बार माफ कर नहीं सकता.
जान- बूझ कर मेरे प्रति किये गये अपराध को भी मैं सदैव माफ करने की शक्ति तो रखता ही हूँ, माफ करना चाहता हूँ या नहीं, माफ करूँगा या नहीं , यह मेरे विवेक पर , मेरे मन पर निर्भर है.
मैं पहले भी यही सोच रखता हूँ , आगे भी , आज और अभी- अब भी .
जाओ एलानिया माफ .
अब तो निश्चिन्त हो जाओ.
जान- बूझ कर मेरे प्रति किये गये अपराध को भी मैं सदैव माफ करने की शक्ति तो रखता ही हूँ, माफ करना चाहता हूँ या नहीं, माफ करूँगा या नहीं , यह मेरे विवेक पर , मेरे मन पर निर्भर है.
मैं पहले भी यही सोच रखता हूँ , आगे भी , आज और अभी- अब भी .
जाओ एलानिया माफ .
अब तो निश्चिन्त हो जाओ.
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