Wednesday, 25 November 2015

मैं तो केवल इतना ही खुले आम कहना चाहूँगा कि कोई भी अपराध इतना बड़ा नहीं होता कि क्षमा करने की शक्ति रखने वाला एक सौ एकवीं बार माफ कर नहीं सकता.
जान- बूझ कर मेरे प्रति किये गये अपराध को भी मैं सदैव माफ करने की शक्ति तो रखता ही हूँ, माफ करना चाहता हूँ या नहीं, माफ करूँगा या नहीं , यह मेरे विवेक पर , मेरे मन पर निर्भर है.
मैं पहले भी यही सोच रखता हूँ , आगे भी , आज और अभी- अब भी .
जाओ एलानिया माफ .
अब तो निश्चिन्त हो जाओ.

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