Sunday, 2 July 2017

सारे  जुगाड़ थे , सब धरे के धरे रह गये , कुछ काम न आया , न कैम्पस , न आजादी , न टुकड़े , न मौत की अफवाह ।  कुछ भी नहीं चली। 
ये पब्लिक है - सब जानती है। 

No comments:

Post a Comment