Sunday, 28 May 2017

तुम्हारे आने की खबर थी
मैंने चार बताशे की उम्मीद पाल  ली।
तुम खाली हाथ ही आये , आये तो सही।
कोई बात नहीं ,उम्मीद एक बार टूटी ,
दोबारा उम्मीद करने से मुझे कोई रोका है क्या।

तुम जाने के लिए बाहर निकलोगे
तो बाहर पछियारी खिड़की के पास से निकलना
दो पेड़े बनाये हैं सुबह दूध घाँट के , खस्ता है
हाथ फैला कर खिड़की से दे दूंगी
रास्ते में खा कर पानी पी लेना। 

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