Tuesday, 4 August 2015



हर सुबह कुछ सिखाती है
हर शाम कुछ कह जाती है
हर दिन कुछ पाठ पढ़ाता है
तभी तो साठ मुस्कराता है
आठ और साठ जुड़ जाये तो
एक नया कलाम बन जाता है.
चलते-करते रहना, विश्राम नहीं
फिर तो कलाम बन जाता है

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