हर सुबह कुछ सिखाती है
हर शाम कुछ कह जाती है
हर दिन कुछ पाठ पढ़ाता है
तभी तो साठ मुस्कराता है
आठ और साठ जुड़ जाये तो
एक नया कलाम बन जाता है.
चलते-करते रहना, विश्राम नहीं
फिर तो कलाम बन जाता है
हर शाम कुछ कह जाती है
हर दिन कुछ पाठ पढ़ाता है
तभी तो साठ मुस्कराता है
आठ और साठ जुड़ जाये तो
एक नया कलाम बन जाता है.
चलते-करते रहना, विश्राम नहीं
फिर तो कलाम बन जाता है
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