Tuesday, 2 June 2015

सपने , ऐ मेरे सपने , तू क्यों आता है , कहाँ से चला आता है , यह जानते हुए भी आता है - कि मैं तुम्हारे लायक नहीं हूँ , तुम्हारी उचित खातिरदारी नहीं कर पाउँगा।
आ ही जाते  है तो क्यों नहीं शांति से पड़ा रहते हो , मुझे बैचैन क्यों करते हो , मेरी नींद क्यों ले उड़ते हो ,
इन सपनों का क्या  करूँ। 

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