Thursday, 26 June 2014

अपने बीते दिनों की यादें और अधिक परिश्रम करने को उकसाती है , तीब्र आलोचना, असमय असफलता ,ब्यंग ,षड्यंत्र , ईर्ष्या ,प्रतियोगिता आदि बर्दास्त करने को बाध्य करती है , प्रेरणा देती है .हर बार बताती है कि अधीर नहीं होना है और संतुलन नहीं खोना है .बीते दिनों ने यह प्रमाणित किया की दिशा सही रखना जरूरी है और अपने आप पर नियन्त्रण . निराशा किशी समस्या का हल हो ही नहीं सकती .
परमपिता परमेश्वर ने मुझे मेरे पारिवारिक दायित्व को निबाह ले जाने का समुचित अवसर , साधन दिया .
मेरे बाद कम से कम अब मेरे इतिहास जैसी कोई पुनरावृत्ति नहीं हो , बस यही प्रार्थना करता रहूँगा

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