मेरा यह मानना रहा है हमेशा कि बातचीत जरूरी है , हर बात पूछ लेना बता देना , संवाद के बिना एक गहरी खाई बन जाती है ।
संवाद से कहीँ ज्यादा जरुरी है समझ और जानकारियाँ ।
व्यक्ति विशेष की स्थिति मेँ सामाजिक और व्यक्तिगत आशाओँ को . जरुरतोँ को , अपेक्षाओँ को , चाहतोँ को समझना ।
हालाँकि ये ठीक ठीक संभव भी नहीँ और अपेक्षाओँ का भार और प्रकार वहन करना भी मुश्किल है , पर इसके बिना भी संवाद का कोई अर्थ नहीँ रह जाता ।
वैसे किसी को समझने की कोशिश करना आपको परेशान कर सकता है ।
संवाद से कहीँ ज्यादा जरुरी है समझ और जानकारियाँ ।
व्यक्ति विशेष की स्थिति मेँ सामाजिक और व्यक्तिगत आशाओँ को . जरुरतोँ को , अपेक्षाओँ को , चाहतोँ को समझना ।
हालाँकि ये ठीक ठीक संभव भी नहीँ और अपेक्षाओँ का भार और प्रकार वहन करना भी मुश्किल है , पर इसके बिना भी संवाद का कोई अर्थ नहीँ रह जाता ।
वैसे किसी को समझने की कोशिश करना आपको परेशान कर सकता है ।
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