संभालने का, याद करने का, याद कराने का, य़ाद करवाने का, याद दिलाने का, याद दिलवाने का , संभलवाने का- इन सभी का एक तरीका होता है। जब तरीका बन गया है तब श्रेयष्कर यही है कि बने हुए तरीके से चला जाये।तरीके से चली चाल ही सम्मान पाती है, मानी जाती है, पचानी जाती है । बेतरीके चली चाल नहीं मानी जाती। अमान्य कर दी जाती है। चाल चलो ऐसी की पहूँचों अपने घर। ह न क का चला ही चाल। बेहक चला चलना ही नहीं तो चाल कैसे। एकसार समरस चाल दूर तक ले जाती है। कूद -कूद कर चलना या रुक-रुक कर चलना न यश देता है न मँजिल, न स्वीकृति।
कुछ ही है जो याद किये जाते हैं,
कुछ ही है जो याद किये जाते हैं,
No comments:
Post a Comment