Wednesday, 22 May 2013

बेटे, पड़ोसी ने बताया कि कल तुम गाँव आकर चले भी गये, क्या मेरे हाथ की रोटियाँ भी तुम्हे अपनी माँ के पास खींच कर नही ला सकी।
अगली बार जरूर आना। ठीक है मेरी हाथ की रोटी कभी कभी कुछ कच्ची रह जाती होगी,अगली बार ठीक से बनाऊँगी, यह भी एकदम नहीं पूछूंगी कि माँ के लिये क्या लाया है रे, किसी तरह से भी नहीं कुछ भी नही कहूँगी, किसी के बारे में भी नहीं, अपने बारे में तो हरगिज नहीं। बस एक बार आ जाना।
फिछली बार तुमने मुझसे मोबाइल पर बात बी नहीं की थी। शायद बहुत बीजी था। कोई बात नहीं, टैम निकाल कर अपनी आवाज सुना भर देना, सो जाऊँगी। बहुत दिनों से----------

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