Thursday, 18 April 2013

 
मेरी कामयाबी की नींव तो उसी वक्त पड़ चुकी
जब आँखों ने पहला सपना देखा था

बाकी सब कुछ तो बस चंद पर्दे थे
बस एक एक कर हटते चले गये।
...
ताजमहल तो शाहजँहा की नजरौं मैं
कब का बन चुका था,उनके ख्वाबों में

बाकी तो सब कुछ,ईँट, गारे की मशक्कत ती
... या पत्थरों का वजन औ कारीगरों की बाजीगरी।

हमारी आजादी तो उसी दिन पक्की हो चुकी थी
जब एक बच्चा लादे माँ ने ललकारा था

बाकी तो सब कुछ हमारा ईमान था
जो डूबता तैरता आखिर पूरा पार हो गया।

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