Wednesday, 21 August 2024

 कृष्ण की  हर बात प्रभावित करने वाली है पर दो बाते मुझे अभिभूत  कर देती है एक  तो उनका अप्रतिम सौन्दर्य उनकी मुरली की तान जिसपर बेबस हैं ब्रज की गोपियाँ उनकी ओर खिंची चली आने को।कोई बंधन स्वीकार नहीं है उन्हे।हजारों हजार गोपियों के साथ उनका नृत्य और उसी समय में राधा जी के साथ उनकी रास लीला सबको लगता कि कृष्ण उन्हीं के साथ है।अलौकिक आनंद देने वाला।दूसरा जब कृष्ण पाण्डवों का दूत बन कर धृतराष्ट्र की राज सभा में पहुंचते है,पाण्डवों के लिए मात्र पाँच गाँव की माँग करते है और इंकार पर युद्ध का

आह्वाहन।कृष्ण धर्म के साथ अधर्म के विरुद्ध खड़े है।तटस्थता के प्रखर विरोधी है कृष्ण।अधर्म के साथ कोई अपना भी खड़ा हो उसके विरुद्ध भी हथियार उठाने की प्रेरणा देते है कृष्ण।धर्म की विजय के लिए युद्ध के नियमों की कभी कभी तिलांजलि देते हुये भी दीखते है कृष्ण।उनमें गजब का वाक्चातुर्य है सबको

पराजित सा करता और मोहता हुआ। ।इस भारत भूमि को एक बार और कृष्ण जरूरत है।

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