Monday, 14 November 2022

 Parliament को Constitution मे amend करना चाहिए। य़ह अंग्रेजियत की गन्ध है। डिस्ट्रिक्ट मे देशी जज होते थे, High Court आदि मे इंपोर्टेड बिलायती जज। वे देशी जजों को घटिया, दोयम दर्जे के जज समझते थे। उनके प्रभाव से उनके कोर्ट मे वकालत के लिये उपस्थित वकील भी अलग हाव भाव में रंगने लगे, साहबों की तरह व्यवहार करने लगे और जिला स्तर के वकीलों से दूरी बनाने लगे। एक वकील का हाइकोर्ट में प्रेक्टिस करना एक विशेष आभुषण हो गया और जिला न्यायालय के अधिवक्ता अलग होते चले गये। भारत की 99% जनता जिला स्तरीय वकीलों से जिला स्तरीय न्यायाधीशों से ही न्याय पाती है पर जब उन्हें पता चलता है कि उनको न्याय देने वाला Subordinate है तो अंदर ही अंदर उनको निराशा क्षोभ तो होता ही है। पार्लियामेंट को इस गुलामी की निशानी को तत्काल हटाना चाहिये।

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