*सोचने समझने वाली बात*
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*हर दूसरी पोस्ट आफताब को कौस रही है, आफताब कहां गलत है? उसने वही किया जो उसे करना था। गलती किसकी है?
आप लोगों को कमाने से फुर्सत नहीं है,
औरतों को किट्टी पार्टियों से फुर्सत नही,
साथ बैठकर खाना खाने बात करने का समय नहीं है,
बच्चे ट्यूशन जा रहे हैं वो देखने का समय नहीं है।
कई कई मां बाप को तो पता ही नहीं होता बेटे के चेहरे पर मुंछें उग आई हैं। फीस जमा कराई और हो गया कर्तव्य पूरा। परिवार में पिता का खौफ तो कब का खत्म हो गया। संयुक्त परिवारों में एक अलग व्यवस्था रहती थी।
शराब आम बात हो गई है और माएं खुद बेटियों को अबोर्शन के लिए ले जा रही हैं। जिम और ब्यूटी पार्लर सॉफ्ट टारगेट गेनर हैं।
आज करोड़ों के बंगले हैं मगर खोखले हैं। इसलिए अपनी मानसिक और शारीरिक कमियों को ढंकने के लिए दूसरे को कोसना बंद कीजिए। ये हमारे ही मुंह तक थूकने जैसा है।
हम एक दूसरे से मिलना जुलना पसंद नहीं करते। मेहमान आफत लगते हैं, अभी दिवाली गई कितने लोग अपने बच्चों को रामा श्यामा करवाने ले गए, बड़े बुजुर्गो को धोक दिलवाने ले गए।
पग पग पर खतरा है, गिद्ध है। जब कभी समय मिले अजमेर मेयो कॉलेज कांड याद कर लेना जिसमें लड़कियां ही नहीं उनकी भाभियां तक फंस गई थी मगर नहीं आपको तो शादी ब्याह में उड़ाने से फुरसत नहीं।
हां, पेट्रोल टमाटर पर जरूर चिंतित होते है...*
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