ज्ञान गंगा शैक्षणिक परिवार, दाऊद नगर के संरक्षक के रूप में मैं स्वयं पर एक नई जिम्मेदारी को अनुभव कर रहा हूँ।
इस परिवार ने मुझे य़ह दायित्व दे मेरे उपर बड़ा उपकार किया है, ऐसा मेरा मानना है।
पूरे परिवार का मुखिया होने का सम्मान मुझे लघुता से भर देता है और भविष्य की जिम्मेदारी के प्रति सचेत करता है
परिवार के प्रत्येक सदस्य विशेष अभिनंदन के अधिकारी है क्यों कि विधाता ने इनके माध्यम से भविष्य निर्माण का संकल्प लिया है। परिवार का प्रत्येक सदस्य राष्ट्रीय भविष्य में अपना योगदान देने के लिये विधि द्वारा चयनित है। आइए हम सभी इस महती दायित्व का आनंद लें और खुद को इसके लिये तैयार करें, समर्पित करें।
इस परिवार से जुड़े हर अभिभावक, शिशु, किशोर, युवा, वृद्ध जो चाहे किसी भी रूप में परिवार को छाया देता हो, या इसकी छाया में खेल कूद रहा हो, लिख पढ़ रहा हो, विश्राम कर रहा हो अथवा इस परिवार से निकला किसी अन्य परिवार में, समाज में पुनर्स्थापित हो गया हो, या होने को सचेष्ट हो को मैं एक बात के लिये आश्वस्त करना चाहूँगा कि वे सभी दी गई परिस्थितियों के सापेक्ष सम्भव सर्वश्रेष्ठ के अधिकारी है और परिवार इस सर्वश्रेष्ठ के लिये वचनबद्ध है, निरन्तर प्रयासरत है।
परिवार के काम को दिशा निर्देशन से जुड़े सभी वरिष्ठ से मेरी अपेक्षा रहेगी कि वे किसी एक को भी कुंठा का शिकार न होने दें।
लाइब्रेरी, खेलकूद, वाद विवाद, प्रतियोगिता, कम्प्यूटर, हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर, वैज्ञानिक, तकनीक उपकरण, हमारे परम्परागत उपकरण, हमारी परंपरा और परम्परागत जीवन व कृषि शैली का हमारे जीवन में बहुत महत्त्व है। आइये इन कतिपय सूत्रों को कस कर पकड़े और इनसे अपने पूर्वजों बडों को याद करते, उनसे प्रेरणा लेते सारे परिवार को एक स्वर्णिम भविष्य की ओर ले चलें।
इतिहास से मोह या बँध नहीं, वर्तमान ही अंत नहीं, हमे इतिहास को समृद्ध करना है, वर्तमान का आनंद लेते हुए भविष्य का निर्माण करना है।
जय परिवार। जय समाज। जय भविष्य की यात्रा के सभी सहयात्री। अभी अभी परिवार प्रांगण में आये सभी का स्वागत, वरिष्ठों को आदर, सहयोगी सभी को प्रेम।
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