Thursday, 1 February 2018

अंग्रेजों ने भारतीय स्वावलंबी ब्यवस्था नष्ट की, हमारे ग्रामीण कारीगरों के हाथ तक कटवा दिये।
 मालिक कारीगरों को नौकर बनने को विवश किया।
किसानों को नील पैदा करने को विवश किया । गांधी जी ने इसका विरोध किया ।ग्राम स्वराज्य समझाया ।
अंग्रेजों ने समझ लिया कि भारतीयों को और नौकर बना कर नहीं रखा जा सकेगा । उन्होंने अपनी फैक्ट्रियाँ स्थानीय लोगों को बेचना शुरू किया ।
गाँधीजी ने इसका विरोध करने की चेष्टा की।
फलस्वरूप अंग्रेजों ने और अंग्रेजों के एजेन्ट ब्यापारियों ने काँग्रेसी लोगों से समझ बढाई  जिससे गाँधी निराश हुए और अंग्रेजों के जाने की संभावना देख उन्होंने काँग्रेस, जो अब फैक्ट्रीलौबी  की तरह काम करने लगी थी, को भंग कर देने का भी सुझाव दे डाला था।
ईसी आर्थिक विभेद वाली पृष्ठभूमि में भारत से अंग्रेज गये।

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