Monday, 23 January 2017
Wednesday, 11 January 2017
Today and now is always talked in reference with yesterdays and tomorrows.
It matters little for them how you do.
They will examine why did you do and what did it bear,
They will study the past and the future of your work .
Be ready for that.
Students still research causes of rise or fall.
They still research impact of this and that.
You live in present but they will talk of past and future.
Your deeds today will be tested in the frame of yesterdays and tomorrows.
It matters little for them how you do.
They will examine why did you do and what did it bear,
They will study the past and the future of your work .
Be ready for that.
Students still research causes of rise or fall.
They still research impact of this and that.
You live in present but they will talk of past and future.
Your deeds today will be tested in the frame of yesterdays and tomorrows.
बस मैं जिस रास्ते बढ़ा, वे नये तो थे ही
रास्ते में दोस्त बनाना भी कत्तई मना था.
रास्ते में दोस्त बनाना भी कत्तई मना था.
भर रास्ते जाना-पहचाना कोई मिला नहीं
पहचानना, पहचनवाना भी सख्त मना था
पहचानना, पहचनवाना भी सख्त मना था
ख्वाहिश थी,कोई दूर से ही अपना मानेगा
उन्हीं दुआओं से नया रास्ता ,रौशन होगा
उन्हीं दुआओं से नया रास्ता ,रौशन होगा
इन्तज़ार करते रहे भर रास्ते, भोर हो गई
फकीर मौज में, अपनों की बद्दुआ लग गई
फकीर मौज में, अपनों की बद्दुआ लग गई
रौशनी उनकी मुठ्ठी में बन्द खोल नहीं पाया
दुआएँ बिक रही थी बाजार में, ले नहीं पाया
दुआएँ बिक रही थी बाजार में, ले नहीं पाया
हलाल जिसे वे कहते थे , वह तो हराम था
उनके कहे खुतबा जबह का पढ़ नहीं पाया
उनके कहे खुतबा जबह का पढ़ नहीं पाया
बेगुनाहों को सजा देने का हुक्म सुनाया गया
जो गुनाह कर न सका उसी का दोषी पाया गया
जो गुनाह कर न सका उसी का दोषी पाया गया
आपको तय करना है - आप दया के पात्र है , बनेंगें , या करुणा के या इर्ष्या के, अथवा श्रद्धा के ,
कौन सा प्रेम , कैसा प्रेम ,किसका प्रेम - यह आपको तय करना है
श्रद्धा के पात्र बनने का रास्ता कठिन तो है ही ,अनजान , दुर्गम भी ,
पर न जाने कितने हमारे आप से पहले कैसे कैसे विकट रास्तों से होकर श्रद्धा के शिखर पुरुष बन चुके है , नित नये श्रद्धा -मानक सामने आ रहे हैं - हम आप खुद ब खुद उनका स्मरण मात्र कर श्रद्धा से अभिभूत हुए जाते है .
इस दिशा में एक पवित्र लक्ष्य रख कर हम आप भी एक असंभव ही सही यात्रा का प्रयास तो कर ही सकते हैं . असफल ही न होंगे . समाज को कुछ देने की इच्छा रख कर कुछ तो किया ही जा सकता है .जितना बन पड़ेगा उतना करने से भला मुझे कौन रोकेगा .मेरा जितना बूता है मैं उससे क्यों बाज आऊँ .
दीया जलने के पहले अँधेरे को देख कभी डरा है क्या . अँधेरा नहीं भी हारे तब भी दीये को उसकी ताकत भर जल लेने दो मेरे भाई .
Tuesday, 10 January 2017
भूखा होटल खोजता फिरता है ।
कपड़े का ब्यापारी कपड़े के होलसेल मार्किट या फैक्ट्री खोजता फिरता है ।
अनाज का ब्यापारी अपने मतलब की जगह मारा मारा फिरता है ।
हर ब्यक्ति अपने मशरफ का स्रोत खोजता है ।
ज्ञान की भूख में ज्ञान के उचित ऑथेंटिकेटेड सोर्स की खोज में नया युवक कैसे कैसे हिम्मत करता आगे बढ़ने का प्रयास करता है खास कर वह युवक जिसे अपने आजु बाजु में आगे का रास्ता नहीं दीखता या कोई नहीं दिखाता।
मेरे लिये ऐसे युवक प्रणम्य है जो बैचैन हो आगे बढ़ उचित श्रोत तलाशते फिरते है.
Friday, 6 January 2017
कुटेवी ,कुकर्मी , अपराधी , अकिंचन ,अधर्मी , मातापिता की संतान का दुःख वे पुत्रादि क्या जाने जिन्हें महाप्रतापी माता पिता का संस्कार , ज्ञान , विद्या , यश ,श्रेय ,साधन ,प्रताप ,पहुंच ,परिचय उत्तराधिकार में मिला होता है ।
अज्ञान की गोद में जन्मे बच्चे को ज्ञान के प्रकाश तक आने में कितनी लम्बी यात्रा होती है यह तो अज्ञान से ज्ञान तक , अंधकार से प्रकाश तक की यात्रा का भुक्त भोगी ही जानता होगा
अलौकिक प्रकाश से अहर्निश दिब्य रूप से प्रकाशित स्वच्छ महिमामण्डित राजप्रसाद में राजकुल में जन्में प्रख्यात बच्चे क्या जाने अन्धकार , असंस्कार , अविद्या , अवगुण, अनजान की पीड़ा ।
अज्ञान की गोद में जन्मे बच्चे को ज्ञान के प्रकाश तक आने में कितनी लम्बी यात्रा होती है यह तो अज्ञान से ज्ञान तक , अंधकार से प्रकाश तक की यात्रा का भुक्त भोगी ही जानता होगा
अलौकिक प्रकाश से अहर्निश दिब्य रूप से प्रकाशित स्वच्छ महिमामण्डित राजप्रसाद में राजकुल में जन्में प्रख्यात बच्चे क्या जाने अन्धकार , असंस्कार , अविद्या , अवगुण, अनजान की पीड़ा ।
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