Wednesday, 20 June 2012

मेरी मजबूरी की नुमायश यूं न किजिये,
आपके तिजारत के लिये और भी बहुत कुछ है
मुझे मेरी सिसकियों के साथ जी लेने दें,
उसकी विडियो बनाकर आपको क्या मिलेगा
मुझे रो लेने दें, चिल्लाने दें, जी हलका हो जाने दें,
उसकी औडीयो बनाकर आपको क्या मिलेगा
मेरे भुखे बच्चे, मेरी सूखी काया, वस्त्रहीन,
ऐसी पेन्टिंग बनाकर आपको क्या मिलेगा
मै खड़ी सड़क किनारे, भूखे पेट, लिपस्टिक ,
उन गाड़ियों मे मुझे क्या मिलेगा, दो जून खान
उकड़ू बैठी, जांघे झाँकती, बरतन माँजती मै,
मुझ पर घूर कर ताकते , आपको क्या मिलेगा
घास की टोकरी, हसुआ, अब और छुपाओगे,
मै बुझ चुकी, अब आपको क्या मिलेगा
माँ ने छोटी को बुलाया है, चिप्स बनाने को
ये बहाने बनाकर आपको क्या मिलेगा
आज ही आपके यहाँ भोज था,बहुत झूठन मिली,
झूठन सूखते दिखकार ,आपको क्या मिलेगा
बम्बई की लोकल में मेरे बदन से सटा देह,
फिसलती निगाहें,दिखाकरआपको क्या मिलेगा


आपके तिजारत के लिये और भी बहुत कुछ है
आपके तिजारत के लिये और भी बहुत कुछ है
ऐसी पेन्टिंग बनाकर आपको क्या मिलेगा
ये बहाने बनाकर आपको क्या मिलेगा
फिसलती निगाहें,दिखाकरआपको क्या मिलेगा

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