Monday, 19 August 2019

गणित तो हर जीव का नैसर्गिक दर्शन है।
जब एक बाज-गिद्ध उड़ते हुए, मछलियां तैरते हुए, चीता शिकार के लिये दौड़ते हुए अपनी बॉडी को सेट करता है, स्पीड रेगुलेट करता है और अपनी दौड़, उड़ान के कोण को शिकार के साथ एडजस्ट करता है वह आज की मिसाइल टेक्नोलॉजी से वही प्रखर है, सटीक है, अध्ययन योग्य है ।
जिस तरह एक अनपढ़ रिक्से वाला भिन्न दूरी के सवारी ले जाने के या वजन ले जाने के प्रस्ताव के बाद भार, दूरी, समय, रास्ते के उतार चढ़ाव आदि का मैट्रिक्स बना एक उत्तर तत्काल दे डालता है, वह मेथेमेटिकल दर्शन ही तय है।
एक नवजात का आवाज सुन आवाज के स्रोत के कोण की ओर गर्दन घुमाना, किसी रंगीन वस्तु की ओर आंख घुमा कोण सेट करना, क्रमशः औपचारिक गणित ज्ञान के बिना छोटे बड़े आकार का ज्ञान सब कुछ गणितीय दर्शन ही तो है।
गणितीय संख्याएं वास्तव में उसी मानवीय गणितीय दर्शन को अभिब्यक्त करने की भाषा भर ही तो है।

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