Tuesday, 16 April 2019

बिना कोमा, फुलिस्टोप के चलती रहती है दोस्ती, नित नए किस्से गढ़ते ही जाती है - दोस्तों के गुजर जाने के बाद भी । दोस्ती खुद कभी बूढ़ी नहीं होती।

हाँ, कलेवर बदल लिया करती है।

नई पीढ़ियों ने जो दोस्ती देखी, समझी जानी होती है वे वह कहानी सुनाते हैं जो दोस्तों को भी नहीं पता होती है या जिसके बारे में दोस्त समझते रहे कि इसे तो हमारे अलावा कोई नहीं जानता।

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