गौरतलब है कि डॉ लोहिया साल 1926 से 1929 तक इसी पोद्दार छात्र निवास में रहकर अपनी पढ़ाई पूरी की. उस समय वह विद्यासागर कॉलेज में स्नातक के छात्र थे. डॉ लोहिया का एकीकृत बंगाल विशेषकर कोलकाता से घनिष्ठ संबंध रहा है. स्वतंत्रता आंदोलन के समय उन्होंने बंगाल छात्र आंदोलन में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. कोलकाता के अलावा उन्होंने ढाका, मैमन सिंह और नोआखाली में भी काफी समय बिताये. विभाजन के बाद नोआखाली में भड़की सांप्रदायिक हिंसा के बाद वह महात्मा गांधी के कहने पर मौके पर पहुंचे थे.
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