Monday, 7 January 2019

बॉडी लैंग्वेज सही रखो।
जब भी बैठे, दोनो टांगों को समेट के बैठें।
कभी भी पसर के नहीं बैठें। आदत पड़ जाती है।
गलत को गलत नहीं समझेगा दिमाग, तो सब चलता है --आगे भी चलायेगा।
दिमाग को समझाना पड़ता है-सार्वजनिक स्थानों पर क्या न करो।
गाली देने की आदत आपके अपने घर, स्कूल महल्ले में अनायास ही पड़ जाती है।
असावधान हुए नहीं कि परिवेश से ही यह सब बॉडी लैंग्वेज और सोसल लेंग्वेज की आदत पड़ जाती है।

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