Thursday, 7 September 2017

कुछ निराशावादी , संकुचित ,आत्ममुग्ध , पूर्वनिर्दिष्ट लाल हरे रंग के बुड्ढे खूसट बुद्धिजीवियों  को छोड़ दें तो हालिया वर्षों में भारतीय युवा चिंतन बहुत बदला है। 

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