Tuesday, 3 November 2015

आओ, एक बार फिर से एक लड़ाई लड़ लें , कि अभी बहुत कुछ जीतना बाकी है .
अभी तो घूरती आँख , फूलते नथुने , बन्धी मुट्ठी , तनी भुजाएँ, त्रिबंक भृकुटि ,, खौलता खून , बीसों नाखून , बत्तीसों दाँत, सब कुछ तुम्हारे पास बाकी है , अभी तो सारी हिम्मत तुम्हारी बाकी है , मैं भी तो हू़ँ,
अभी लडा़ई बहुत बाकी है , अभी जीत बहुत बाकी है , अभी चढ़ाई बहुत बाकी है-
चलो आगे बढ़ चले, उपर उठ चलें,
अभी उन्हें कितनी बार मुँह की खाना बाकी है ,
अभी उन्हें फिर से कई बार हराना बाकी है.
चलो आगे बढ़ चले,
उपर उठ चलें,
लड़ चलें
भिड़ चलें
जीत चलें

No comments:

Post a Comment