इर्ष्या , लोभ और षड्यंत्र सदा ,सर्वथा त्याज्य है -- चाहे कितनी भी बड़ी कीमत इसकी चुकानी पड़े
इस मार्ग से कितनी भी बड़ी सफलता हो , उसका त्याग करना ही भला .
प्रतियोगिता हो सकती है , पारिश्रमिक हो सकता है ,सहयोग -समन्वय हो सकता है
पर धोखे से युक्त प्रतियोगिता , निर्बल या असक्त या विपत्तिग्रस्त का दोहन ,या अपारदर्शी सहयोग-समन्वय , वह भी किसी को हानि पहुँचाने के लिये या अपने लिये अनुचित लाभ के लिये या किसी की प्रतिष्ठा की हानि के लिये तो किसी प्रकार स्वीकार्य नहीं ही हो सकता .
अपने नाम के सिक्के चलवा कर ,खद ही मालाएँ पहन कर या अपनों को एकत्र क्त यश का स्वांग करने से या अतिरेक वश कोई अतिवादी कदम या सोच आपको ,आपकी इर्ष्या को या आपके लोभ को या आपके षडयंत्र को सार्वजनिक कर देगा और फिर रह जायेगा स्थायी अपयश ,जन-निन्दा .
इससे तो असफलता ही भली ,षड्यंत्रकारियों के हाथों हार भली ,इर्ष्या - अग्नि में दग्ध होना भला ,लोभ का शिकार हो जाना ही भला , अहंकार के वशीभूत होने से भला अहंकार के ग्रास बन जाईये .
कम से कम भविष्य में आपका सकारात्मक मुल्यांकन होगा , इसकी संभावना तो बची रहेगी
इस मार्ग से कितनी भी बड़ी सफलता हो , उसका त्याग करना ही भला .
प्रतियोगिता हो सकती है , पारिश्रमिक हो सकता है ,सहयोग -समन्वय हो सकता है
पर धोखे से युक्त प्रतियोगिता , निर्बल या असक्त या विपत्तिग्रस्त का दोहन ,या अपारदर्शी सहयोग-समन्वय , वह भी किसी को हानि पहुँचाने के लिये या अपने लिये अनुचित लाभ के लिये या किसी की प्रतिष्ठा की हानि के लिये तो किसी प्रकार स्वीकार्य नहीं ही हो सकता .
अपने नाम के सिक्के चलवा कर ,खद ही मालाएँ पहन कर या अपनों को एकत्र क्त यश का स्वांग करने से या अतिरेक वश कोई अतिवादी कदम या सोच आपको ,आपकी इर्ष्या को या आपके लोभ को या आपके षडयंत्र को सार्वजनिक कर देगा और फिर रह जायेगा स्थायी अपयश ,जन-निन्दा .
इससे तो असफलता ही भली ,षड्यंत्रकारियों के हाथों हार भली ,इर्ष्या - अग्नि में दग्ध होना भला ,लोभ का शिकार हो जाना ही भला , अहंकार के वशीभूत होने से भला अहंकार के ग्रास बन जाईये .
कम से कम भविष्य में आपका सकारात्मक मुल्यांकन होगा , इसकी संभावना तो बची रहेगी
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