Wednesday, 4 February 2015

जय , विजय तथा पराजय के बीच एक झीना सा आवरण है , या तो हमारे दृष्टिकोण का आवरण है अथवा किसी अदृश्य शक्ति के आन्तरिक बल का आवरण है .
जीवन यात्रा के विभिन्न पड़ावों पर इन सूक्ष्म र्ह्स्योंसे आमना -सामना होता रहा है .सन ७७ में संतोषजनक सफलता मिल जाने के बाद भी क्यों असफलता को बिना किसी को कानों कान हवा लगे हुए स्वीकार करना पड़ा ,आज तक समझ में नहीं आया .
अत्यंत कतु वचनों ने भी जीवन में कटुता नहीं घोली .ऐसा कैसे हुआ , समझ में नहीं आता .
कटु अनुभवों ने निश्चय को दृढ़ किया .ज्यों ज्यों असफलता दृश्यमान होने लगी , त्यों त्यों सफलता के लिये निश्चय पूर्ण होने लगा.जो जितना कठिन लगा वह उतनाही सुखद हो गया .जो जितना निराशाजनक लगा वह उतना ही प्रेरनादायी हो गया .जहाँ दूब रहा था वहीं सारा संसार बस गया .जहाँ उखाड़ा गया वहीं अमर बेल्स बन गया .
जीवन की लम्बी यात्रा ने बहुत कुछ दिया .सच तो यह है की उसका वर्णन नहीं कर सकता ,जो मिला उसका विवरण देना मेरे बूते से बाहर  है
मिठास  . या तीतापन ,ये शब्द लिखे तो जा सकते हैं,इन शब्दों कोप्ध कर अनुभ्विलोग जो इन स्वादों से परिचित हैं ,वे इन स्वादों कीकल्पना भी कर लेंगें .
पर मिठास या तीतापन को कह कर या सुना कर ,समझा कर नहीं जाना जा सकता है ,इसे तो चख कर ही जाना जा सकता है .
जीवन के अनुभव मैं यथाशक्ति लिखने या कहने का प्रयास तो कर रहा हूँ ,पर कहीं शब्द चूक जाते हैं ,कहीं मैं खुद .
अपनी गलतियाँ , अपनी मजबूरियां ,अपने भ्रम ,अपनी नादानियाँ यथा रूप लिख पाना सहज नहीं होता .
कुछ अनुभव इतने कतुहोते है की उनका पुनः स्मरण जीवन में कडुवाहट को पुनर्जीवित कर देता है .
लिखते वक्त बुद्धि विवेक  का एक अंश ऐसे प्रसंगों से पुनः दो चार होने के लिये तैयार नहीं है .
कभी भावना आड़े आई है तो कभी सामाजिकता .
 कभी अन्य विधाएँ समझती है की सब कुछ खोलकर बताया-समझाया -लिखा थोड़े जाता है विवेक की अपनी ही परिभाषा है .
सच तो यह है की जीवन में छुपाने के लायक कुछ होता ही नहीं . हो तो भी उसे छिपा कर बोझ की तरह ले कर घूमने और उसी सब  बोझ तले मर जाने से अच्छा है - उसे सार्वजनिक कर डालना ,हल्के हो जाना.वैसे  कुछ लोग जानते  ही हैं .कुछ लोग समझ भी जाते हैं . जानने या जनवाने  की भी जरूरत नहीं होती .
क्या करूँ ?
एक तरफ बुद्धि ,एकतरफ अनुभव और फिर अपने आप को आपादमस्तक -आमूल-चूल आपके सामने खोल डालने का संकल्प .
वैसे मेरे जीवन में कोई बहुत बड़ी बड़ी घटनाएँ हुई हो जिनका  उजागर होने से कोई भूचाल आ जायेगा ,ऐसा कुछ भी नहीं . 

No comments:

Post a Comment