मदारी अपना चोला बदलता फिरता
बदलता रहता अपने बन्दर का नाम
जमूरे, तुमतो नाम चोला दौनों बदलो
जैसे जैसे बदले, राजा , मंत्री औ संत्री
निजाम ,महल्ले भीड़ का रंग देखो बस
तमाशा दिखाते रहने के लिये जरूरी है
बने रहना और बोलना उन्हीं की जुबान
नहीं तो फंस जायेगा शिकारी के जाल
बदलता रहता अपने बन्दर का नाम
जमूरे, तुमतो नाम चोला दौनों बदलो
जैसे जैसे बदले, राजा , मंत्री औ संत्री
निजाम ,महल्ले भीड़ का रंग देखो बस
तमाशा दिखाते रहने के लिये जरूरी है
बने रहना और बोलना उन्हीं की जुबान
नहीं तो फंस जायेगा शिकारी के जाल
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