Friday, 6 September 2013

यदि जीवन है तो साँसों के आने जाने का सिलसिला चालू ही रहेगा। उसे रोका नहीं जा सकता। यह स्वयंभू क्रिया है।यह जीवन के होने का प्रमाण भी है। यह इतनी स्वाभाविक स्थिति है कि इसके लिये आप को कोई उपक्रम नहीं करना पड़ता।उसी प्रकार आपका मस्तिष्क भी स्वतः क्रियाशील है।आपकी अन्य अनेक इन्द्रियाँ स्वतः काम करती है, उन्हे दिशा देने के लिये आप अलग से नियंत्रित करने का प्रयास कर सकते हो।

No comments:

Post a Comment