नौका, पाल, पतवार सब तुम्हारी ही बनाई है
हर आँधी ने, तुफान ने, यह बात समझाई है।
सीढ़ियाँ, ये खूँटें, ये रस्से, तुम्ही ने बनाये हैं
हर खाई-ऊँचाई ने ये राज खुद समझाये हैं
यह खँजर,ये ढाल,तलवार तुम्हारे बनाये हैं
लड़ाई के दौरो से , ये अवसर तुमने पाये हैं
हर आँधी ने, तुफान ने, यह बात समझाई है।
सीढ़ियाँ, ये खूँटें, ये रस्से, तुम्ही ने बनाये हैं
हर खाई-ऊँचाई ने ये राज खुद समझाये हैं
यह खँजर,ये ढाल,तलवार तुम्हारे बनाये हैं
लड़ाई के दौरो से , ये अवसर तुमने पाये हैं
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