पत्ता पत्ता तो चूँट चुके हो, अब क्या चूँटना बाकी है
तन को, मन को लूट चुके, अब भी लूटना बाकी है---
सहते सहते झुक चुका हूँ, अब क्या सहना बाकी है
बहते बहते आँख सूजी है, अब भी बहना बाकी है---
सारी बातें कह चुका हूँ, अब क्या कहना बाकी हे
रहते रहते थक चुका हूँ, अब भी रहना बाकी है---
जीते जी तो मर चुका हूँ,अब क्या जीना बाकी है
खाना कैसा,गाना कैसा, अब बस जाना बाकी है ।
तन को, मन को लूट चुके, अब भी लूटना बाकी है---
सहते सहते झुक चुका हूँ, अब क्या सहना बाकी है
बहते बहते आँख सूजी है, अब भी बहना बाकी है---
सारी बातें कह चुका हूँ, अब क्या कहना बाकी हे
रहते रहते थक चुका हूँ, अब भी रहना बाकी है---
जीते जी तो मर चुका हूँ,अब क्या जीना बाकी है
खाना कैसा,गाना कैसा, अब बस जाना बाकी है ।
No comments:
Post a Comment