Friday, 6 September 2013

साधारण सी बात है पर मुझे समझ में क्यों नहीं आती।
साधारण  बातों  के लिये असाधारण शब्द क्यों। सामान्य लक्ष्य- असामान्य पराक्रम क्यों ।

जो सहज है,उसके लिये असहज साधन से क्या प्रयोजन।

पर सहज होना ही कठिन हो चला है। हम सहज नही हो पा रहे। समस्या साधारण होना होते जा रहा है।


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