Sunday, 1 September 2013

चटके हुए अइने के बेतरतीब लग रहे टुकड़े जो अरसे से बेकार उस कोने में फेंक  दिये गये थे आज एकाएक किसी हीरे मोती से भी कीमती लगे जब बाहर से आने पर पता लगा की मेरे पीछे से उन्हीं टुकड़ों को हथियार बना कर महललै वोलों ने कोलोनी में घुस आये दो बदमासों को कब्जे में ले लिया। यह सही है की इसमें महल्ले वालों के साहस का बड़ा रोल था पर इन नामुराद आइने के धारदर टुकड़ों की बात भी तो वे महल्ले वाले ही तो कर रहे हैं, बता रहे हैं।

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