अनुभव सत्य को बोलने की कला सिखाता है , सत्य का गंतब्य समझाता दिखाता है और सत्य का परिणाम बता जाता है , यह अनुभव ही है जो सत्य तक की यात्रा में समय - काल - परिस्थिति के अनुसार चाल - चलन - चरित्र की गति बदलने का चातुर्य बतला जाता है - यही तो अनुभव है।
कोरा शुद्ध सत्य अनुभव नहीं हुआ करता। यह दर्शन हो सकता है।
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