Sunday, 10 November 2024

 उन्हें बताओं वो दुनिया ख़रीद लाए हैं

जो बूढ़े बाप का चश्मा ख़रीद लाए हैं


वो अपने बेटों को बाईक दिलाने वालें थे 

सो हम भी बेटी का बस्ता ख़रीद लाए हैं


उसी का दर्द हमे मरहमो से प्यारा है

हम अपना बेच के जिसका ख़रीद लाए हैं


हमारे घर में अधेंरा नज़र नहीं आता 

ये चंद सिक्कों में हम क्या ख़रीद लाए हैं


ज़मीन बेचने वालों को ये नहीं मालूम

वो दरिया बेचके क़तरा ख़रीद लाए हैं


किताब लाए है हम अपने कुछ बुज़ुर्गों की 

हम अच्छे अच्छों से अच्छा ख़रीद लाए है 


किसी के हिज्र में आँसु बहाने वाले हम 

किसी से मिलने का सपना ख़रीद लाए हैं


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